Thursday, December 31, 2015

मिडास



राजा मिडासको मिला
दुर्लभ एक वरदान
स्पर्श करता हाथसे
सोना होता तमाम.

चलता नहीं छूए बगैर
और छूता है तो महात्रास
इस दुविधा  मिडासकी
जिसका  नहीँ इलाज ...2

छूना हुआ जो त्रास तो
मिडास पड़ा चीख.
यह कैसा वरदान है 
अब जाना किस दीस ?..3

वरदानोंकी रीत है 
वरदान करावे बेगारी ,
गाँव दर गाँव वह घूमता
जैसे हो वह बावरा ....4

चलते चलते एक दिन
पहुंचा ऐसे गाँव ,
पानी पिलाते पूछते
नाम, थम औ’काम...5

कुँए पर थी पबिहारी
सुनती प्यासी आवाज
देखा गोरा मिडास तो 
मूँह मोडती हैं नार  ....6

फिरंगा है मूआ
जरा उपरसे डाल,
कहती एक पंडिताइन
भीगी जिसकी कमर ...7

पंडिताइन पलकमें 
भयी सुवर्ण पुतली स्तब्ध,
जलको जैसे ही छूआ 
मिडास केरा हस्त ....8

रास्तेसे गुजरता था एक भूदेव
देखता है यह  द्रश्य अदभूत.
पल दो पल वह h
मा’तमा है या भूत?...9

मनको किया मजबूत और
राजाको किये प्रणाम,
लगाने बेड़ा पार 
माँगा एक वरदान ...10

छूआ हाथ मिडासका 
घटी घटना दुखदायी,
गोबर हो कर गिर पड़े   
जमीन पर  भूदेव  ...11

मिडास पडा है सोचमें 
देख कर यह कौतुक,
सोनेके स्थान पर गोबर 
कैसा हे  यह तूत.!...12

विचारमग्न मिडासको
चिन्ता हुयी क्षणिक,
और गाँव से आता   
देखा वहाँ वणिक...13

क्या करूँ? छू लूँ , न छूऊँ?
गोबर होगा या सोना ?
क्यों भाई,? पूछे वणिक
किससे काम है आपको ?...14

राजवंशी मिडासका   
देखा मूल्यवान लिबास,
वणिक केरी वाणीमें
आ गयी मीठास ...15

जरकसी ये जामा
कितना उपजे मोल   ,
सोच ही सोचमें छूनेकी
हुई वणिकसे भूल...16

पल भरमें वणिक    
हो गया है हींग ,
चमत्कार यह देख कर
मिडास है चकित ...17

ये तो कैसा मुलक है 
सस्सेके हैं सींग ,
सुवर्णसे भी मूल्यवान 
हैं क्या गोबर-हींग ?..18

सामनेसे उतनेमें 
आता है घोड़ा दड़बड 
सवार हैं बापू सोहते 
दरबारी मूछें संवारते ...19

देखा मिडासको खड़ा
ठीक रास्तेके बीच
बापू बोले चीढ़कर,
‘ओ बावरे, ह्ट...20

विचित्र मिडासमुद्रासे 
बिगडे  बापू बहुत,
करीब जाकर कर दिया 
जोरदार एक प्रहार  ...21

जैसा छूआ मिडासको 
आवाज उठी  खडिंग,
म्यानमें  तब्दील हुए,      
गिरे बापू धड़ाम ...22

आश्चयोंकी परम्परा 
मिडासको निपजै त्रास ,
गोबर , हींग और म्यानका  
भेद न समजा जाय  ...23


पोश, पोश बोलती  वहाँ
चीज नयी कोई आवै,
कुल्हड़, झाड़ू , झाँखर
आश्चर्य उपजावै ...24

सर पर मैला
चीथड़ाचीथडा देह,
मानूस है या फानूस
राजाको संदेह ...25

बँधुआ हूँ मैं बापजी, ‘,
उसने जोड़े हाथ  .
‘भूलसे भी, देखना ,
हो न अछूतका संग..26

छूता कोई मुझे
लगता है महा पाप,
आपसे अलग मुझे 
बड़ा विचित्र है शाप....27

हर्षित हुआ राजा, बोला
मनमें: चलो अच्छा हुआ ,
छूनेका झंझट गया
स्वर्णिमका हुआ नाश ...28

गोबर, हींग, म्यानका
भेद अभी पाया ,
छूआछूतके बोधसे  

કોઠા ઝળહળ થાય...29

शम्बूक













छोटीसी एक चाल,
मजद्र्र्र बस्ती.
मच्छरोंसे भी बहुत
जिन्दगी है सस्ती...1

हब्शी जैसा रंग  लिए
जन्मा शम्बूक्रराय,
खोली और  अँधेरा  
बहुत जगमगाय ...2

टी.बी. हुआ बापका   
मिलमें पड़ता देह ,
पर्बत कैसे कर्ज पर
सुलगी उसकी चेह ...3

रेलगाड़ीका कोलसा
माता चुनने जाय ,
बच्चा पढ़ले, आसमें
आधी भूखी सो जाय ...4

गाय बैल बांधे जहां
ऐसा था वह स्कूल 
मेहता खींचे कान  
शम्बूक खोजे ज्ञान  ...5

पंछी एक आकासमें  
उड़ता देखा दूर ,
उतना  ऊँचा उड़ना 
मनमें बांधी गाँठ ...6

स्नातककी पदवी मिली,
ऐसे में एक दिन
रोती माँकी आँखमें 
पलभर थमते मेह...7

माँके छू कर पांव वह 
इन्टरव्यू देता रहा .
प्रोफेसरकी  नौकरी
पायी लेकिन देरसे....8

बहुत बड़ी कोलेज है
जिसके बहुत बड़े दरवाजे  ,
छात्रोंके दिल जीत कर
हो बैठा वह राजे ...9

विध्याके वर्तुलमें  
चौकोर उसकी  धाक ,
शूद्रताके स्पर्शसे
सरस्वती हुई पाक ...10

लेकिन काल शम्बूकका   
आता कठिन विशेष  ,
साँप सजीवन हो उठे  
जो थे आज तक अवशेष ...11

दरवाजा कोलेजका   
दोपहर हुई भीड़,
क्या है पूछते लोगके
चेहरे पर थी चीड़....12

इतनेमें शम्बूकका
वहाँ हुआ आगमन,
‘वह बी.सी. ढेड़ चला’ 
किसीके ऐसे वचन  ...13

क्या मेधावी विभूति!’  
घबरा   बोला एक.
स्साले ढपोरसंख
टोला   टूट पड़ा... 14

मेरीट हमारी माँ और
एफिसीयन्सी बाप
आरक्षण है विघ्न
भीषण उसका शाप  ...15

शम्बूकका  आफ़िस रहा
केन्द्र, शब्दबाण बौछार
भीड़ तानती तंग बहुत
दीमाग नामकी डोर ..16

आग लगी शम्बूकको
आँख उठा रंग  लाल ,
कैसे  है यह जातपांत  
जिसके  चलते त्रास  ...17

घरकी ओर शाम ढले 
कदम उठे चुपचाप
नीन्द नहीँ है आँखमें
अतीतके संताप...18

चालके चौक बीच
शम्बूक चला जाय  ,
धूलके ढेर पर 
फिरसे बैठा राय  ...19

कहाँ था ? क्या हो गया ?
खायी क्यों यह चोट ?
समस्याका एक नया
विश्व खुला विराट ...20

उलझन रहती रातदिन
हाजिर है कोलेज
सब्जेक्ट सीखाना है उसे
कास्टीजम इन विलेज..21

क्लासमे एक दिन  
हो गयी भारी भूल ,
दलित बंधु हो गया
उसकी औरोंको लगी शूल ...22

बन्द करो यह राजनीति
बोल उठे तीव्र सूर ,
जैसे डूबो देंगे शम्बूकको 
आयी जैसे बाढ़ ...23

भारी होहल्ला मचा
तानोंकी हुई मार 
क्षुब्ध शम्बूक हुआ
पीड़ा अपरंपार...24

मध्यरात्रिका फोन
करता गाली-गलौच
ढेड़ा, सर पर तू चढ़ा   
मरना है क्या,सोच  ?..25

कंकर जाते फैंक
या तो पीछेसे टपली दाँव
प्रोफेसरका दिल 
होता गहरा घाव ...26

स्टाफ रूम, गहरा मौन  
और पीछे कानाफूसी,
अनजान त्रासदी
रातें लेती करवट ...27


देर रात एकदा 
नीन्द हुयी बेचैन  ,
तपेदिक हुए बापकी
स्मृति सारी रैन ...28

शून्यमनस्क चित्तमें  
काल हुआ स्थगित
सहरा जैसे कन्ठमें 
सिसकीयाँ, संगीत...29

झीना झीना दर्द 
सीनेमें जो उठा ,
देह विद्याव्यासंगीकी
जैसे ठण्डा बर्फ ...30

अलविदा , हे दुनिया !
कह कर छोडी साँस.
मृत्युकी एक फूँकसे
सब संताप तमाम   ....31