राजा मिडासको मिला
दुर्लभ एक वरदान
स्पर्श करता हाथसे
सोना होता तमाम.
चलता नहीं छूए बगैर
और छूता है तो महात्रास
इस दुविधा मिडासकी
जिसका नहीँ इलाज ...2
छूना हुआ जो त्रास तो
मिडास पड़ा चीख.
यह कैसा वरदान है
अब जाना किस दीस ?..3
वरदानोंकी रीत है
वरदान करावे बेगारी ,
गाँव दर गाँव वह घूमता
जैसे हो वह बावरा ....4
चलते चलते एक दिन
पहुंचा ऐसे गाँव ,
पानी पिलाते पूछते
नाम, थम औ’काम...5
कुँए पर थी पबिहारी
सुनती प्यासी आवाज
देखा गोरा मिडास तो
मूँह मोडती हैं नार ....6
‘फिरंगा है मूआ
जरा उपरसे डाल,
कहती एक पंडिताइन
भीगी जिसकी कमर ...7
पंडिताइन पलकमें
भयी सुवर्ण पुतली स्तब्ध,
जलको जैसे ही छूआ
मिडास केरा हस्त ....8
रास्तेसे गुजरता था एक भूदेव
देखता है यह द्रश्य अदभूत.
पल दो पल वह h
मा’तमा है या भूत?...9
मनको किया मजबूत और
राजाको किये प्रणाम,
लगाने बेड़ा पार
माँगा एक वरदान ...10
छूआ हाथ मिडासका
घटी घटना दुखदायी,
गोबर हो कर गिर पड़े
जमीन पर भूदेव ...11
मिडास पडा है सोचमें
देख कर यह कौतुक,
सोनेके स्थान पर गोबर
कैसा हे यह तूत.!...12
विचारमग्न मिडासको
चिन्ता हुयी क्षणिक,
और गाँव से आता
देखा वहाँ वणिक...13
क्या करूँ?
छू लूँ ,
न छूऊँ?
गोबर होगा या सोना ?
’क्यों भाई,?’ पूछे वणिक
’किससे काम है आपको
?’...14
राजवंशी मिडासका
देखा मूल्यवान लिबास,
वणिक केरी वाणीमें
आ गयी मीठास ...15
जरकसी ये जामा
कितना उपजे मोल ,
सोच ही सोचमें छूनेकी
हुई वणिकसे भूल...16
पल भरमें वणिक
हो गया है हींग ,
चमत्कार यह देख कर
मिडास है चकित ...17
ये तो कैसा मुलक है
सस्सेके हैं सींग ,
सुवर्णसे भी मूल्यवान
हैं क्या गोबर-हींग ?..18
सामनेसे उतनेमें
आता है घोड़ा दड़बड
सवार हैं बापू सोहते
दरबारी मूछें संवारते ...19
देखा मिडासको खड़ा
ठीक रास्तेके बीच
बापू बोले चीढ़कर,
‘ओ बावरे, ह्ट.’..20
विचित्र मिडासमुद्रासे
बिगडे बापू बहुत,
करीब जाकर कर दिया
जोरदार एक प्रहार ...21
जैसा छूआ मिडासको
आवाज उठी खडिंग,
म्यानमें तब्दील हुए,
गिरे बापू धड़ाम ...22
आश्चयोंकी परम्परा
मिडासको निपजै त्रास ,
गोबर ,
हींग और म्यानका
भेद न समजा जाय ...23
‘पोश, पोश ’ बोलती वहाँ
चीज नयी कोई आवै,
कुल्हड़,
झाड़ू ,
झाँखर
आश्चर्य उपजावै ...24
सर पर मैला
चीथड़ाचीथडा देह,
मानूस है या फानूस
राजाको संदेह ...25
‘ बँधुआ हूँ मैं बापजी, ‘,
उसने जोड़े हाथ .
‘भूलसे भी, देखना ,
हो न अछूतका संग’..26
‘ छूता कोई मुझे
लगता है महा पाप,
आपसे अलग मुझे
बड़ा विचित्र है शाप..’..27
हर्षित हुआ राजा, बोला
मनमें: ’ चलो अच्छा हुआ ,
छूनेका झंझट गया
स्वर्णिमका हुआ नाश .’..28
गोबर,
हींग,
म्यानका
भेद अभी पाया ,
छूआछूतके बोधसे
કોઠા ઝળહળ થાય...29