Thursday, December 31, 2015

चीफ़ मिनिस्टर मटीरियल



और एकबार एक भीड़ इकठ्ठी हुई चौराहे पर
‘मारो, कापो’के शोर बीच
रागोंमें गर्म खून दौड़ने लगा.
किसके ललाट पर टीके थे
तो किसीके हाथमें भले थे.
कोई तो थे बेकार,
मूंह उनके थे ढीले


यूं तो उनकी जेबें खाली थीं
लेकिन उसमें  गंधक,पाउडर और कीलें थीं.
भीड़का एक मुखिया था.
हाथमे उसके मोबाइल फोन था.
सामने छोर पर गांधीनगरका डॉन था.
अचानक एक इसम उधरसे गुजरा
उसके चेहरे पर दाढ़ी थी
उसे देखते ही सबने फ़टाकसे
गुप्तियाँ निकालीं
भीड़ने इसमको घेर लिया.
एकने पकड़ा हाथ
तो दूसरेने पकड़ी टांग
एकने फाड़ा शर्ट
तो दूसरेने खींची पेन्ट
मुखिया उतावली आव़ाज बोलता जाता
करके लाये
इसमको चौराहे पर.
नीमजान  इसम
हो गया बेहोश.
बादमें उँडेला गया पेट्रोल धडधड
करती भीड़ने किया अटहास्य
निकालो दियासलाई, बाकस,
‘जला दो स्सालेको, भागने न पाये..’
सुलग उठी पहली दियासलाई
दूसरी, तीसरी,चौथी...
पूरा बाकस हो गया खाली.
किस मिट्टीका था यह इसम?
ज्वलनशील पदार्थ भी सुलगता न था .
भीड़ पल भर सोचमें पड गयी,
(ऐसा होता है तो कैसी भी भीड़ सोचती है, मालूम्हाई आपको?)
मुखियाने मोबाइल पर मालिकको हैरतजदा घटनाकी खबर दी.
आया सामनेसे तत्काल आदेश :
‘बोड़ी चेक अप करायें फोरेन्सीक लेबोरेटरीमें.”
चौबीस घन्टेमें आया रीपोर्ट.
भीड़ इकठ्ठी हो गयी देखते ही देखतेमें.
चेहरे पर स्तब्धता थी.
इस्म्के बारेमें जाननेकी उत्सुकटा थी .
रीपोर्टमें  सिर्फ एक ही वाक्य
इस इसमकी सही पहचान :
‘उसे पांच किलो आर.डी.एक्स.से फूंक डालो

यह चीफ़ मिनिस्टर मटिरियल है.’

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