तेरी तरह शाकुंतलको सर पर रख कर
नाच नहीं सकता मैं.
मैं तो रहा गांव पाटनका मालो ढेड
मेरे कच्चे कंवारे कानोमें
जबसे डाला गया है धधकता सीसा
तबसे मेरी आँखोंको घेर लिया है
उपनिषदके आध्यात्मिक अन्धेरेने.
बताओ, फिर मैं काले अच्छरको कुल्हाड़ी क्यों न मारूं?
माफ़ करना दोस्त रघला
मेरा तो पूरा अधम अवतार अकारथ गुजर गया
मोहेंजोदरो से मुंबईके
बदबूदार गटरोंके मेनहोलमें.
बता, तेरे भव्य इतिहासका टॉयलेट पेपर
इस गंधको कभी बंद कर पायेगा?
माफ़ करना दोस्त रघला
ढोरढंगरसे कुछ ही ज्यादा सिक्कोंमें बिकती मेरी जातको
तेरे दरबारके नवरत्नोंसे ज्यादा मूल्यवान
माननेकी गलती मैं नहीं कर सकता
मुझे मिल चुका है बदतर बसेरा
तेरे सुवर्णयुगके ढेरे पर.
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