Thursday, December 31, 2015
धूपकी तेज़ाब २
धूपकी तेज़ाब
गीरा सबकी त्वचा पर
एक समान
निकली सबके मूँहसे
आह
एक समान
लेकिन उठे दाग
जिनके आकार अलग अलग
ॐ
तारक
त्रिशूल
किरपान
.
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