Thursday, December 31, 2015

एंगल















इस ओर
थोड़ा नीचे
फूटपाथकी धार पर
क्या खूब रच गया है
एंगल!
मृत भीखमंगीकी सड़ी हुई लाश
सीदी सैयदकी जालीकी कलात्मकतामें ओर इजाफ़ा करती है.
धूपमे काली हो  गयी उसकी  चमड़ी देखकर
आपके मनमें ताज महलके संग-ए-मरमर उभर आयें
तो मैं आपको सम्वेदनशील कहनेको मजबूर हो जाऊँगा.
लेकिन अह्मदाबाद्की बेजान सड़कों पर भटकते हुए
उसके पाँव पर पड़े छालोंसे बहते लहूमें
आपको पानीपतके डूबे हुए रणमैदान नजर नहीँ आते
तो मैं इस देशके समूचे इतिहासको

अरब समुद्रमें फैंक दूंगा.

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