आप भी कभी
यहाँ आश्रम रोड पर
सिनेमाकी
लाईनमें हाथमें डायरी लिए खड़े थे .
अभी नदीके
तटपर गैरकानूनी फाइव स्टार होटल बना न था.
अलबत्ता,
मानेक चौकमें साड़ीकी दूकान पर बैठे
सेठकी तोंद
जैसी
झोपड़पट्टी
विस्तीर्ण हो रही थी.
भ्रष्टाचारकी
आवाज गूँज उठी.
आत्माकी
आवाज वजनी थैलीओंके तले कुचल गयी.
आप शासनके
ब्लेक आउटके विरूद्ध क्रान्तिकी मशाल बन कर आये.
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