Thursday, December 31, 2015

धूपकी तेज़ाब १


तीख़ी धूपमें भूनती
इस शहरकी सड़कोंकी
पिघलती डामरमें मिल जाते
काले लहूमें   
सहसा देख लिये है मैंने
तारक
त्रिशूल
किरपान.

कल वे सब मिलकर मुझे पागल करार दें
उससे पहले
मैं उस शहरका नक्शा बदलना चाहता हूँ.

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