साक्षर, आज मैं मेरे झाडूसे
आपके भेजे साफ़सुथरे करनेवाला हूँ.
आपने हमेशा पाला है कलात्मक अन्तर,
सिर्फ साहित्यमें ही नहीँ, जीवनमें भी.
आज वह फ़ासला हमेशाके लिए मिटा देनेवाला हूँ.
तुम्हारे सवर्ण साहित्यको उजला
बनानेवाला हूँ.
मैं भंगी हूँ, सफाईकर्मी हूँ.
उच्छिष्ट- क्लिष्ट विचार आपके
बुहारकर किया है ऊँचा ढेर किया है
व्याकरणसे भी दुर्बोध धूरा
छिड़ककर फिनाइल उसे आग लगा दूंगा.
मैं भंगी हूँ, सफाईकर्मी हूँ.
साक्षर , मैं आज मेरे वाळउसे
आपकी अनुभूतिकी भूख मिटानेवाला हूँ.
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